हेली कंपनियों के आगे सरकार बेबस, जान गंवा रहे लोग

देहरादून: उत्तराखंड में हेली सेवाओं को लेकर लगातार लापरवाही बरती जा रही है। कई बार देखा गया है कि खराब मौसम के बावजूद एविएशन कंपनियां बेतरतीब उड़ानें भरती हैं, जिससे हर समय दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। केदारनाथ धाम के लिए गुप्तकाशी, फाटा, सिरसी समेत अन्य जगहों से 9 एविएशन कंपनियां हेली सेवा दे रही हैं। इन सभी कंपनियों के हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए रूट निर्धारित हैं, लेकिन ज्यादातर हेलीकॉप्टर ईंधन और समय बचाने के लिए निर्धारित ऊंचाई से नीचे उड़ान भरते हैं। इतना ही नहीं गौरीकुंड-केदारनाथ के बीच संकरी घाटी के बीचों बीच से होकर ये हेलीकॉप्टर गुजरते हैं। जबकि, रामबाड़ा के ऊपर गरुड़चट्टी-केदारनाथ के बीच घाटी से तेजी से धुंध ऊपर के लिए उठती है, जिससे अचानक जीरो विजिबिलिटी हो जाती है।
ऐसे में थोड़ी सी दूरी पर भी कुछ नहीं दिखाई देता है. इस तरह का मौसम यहां अक्सर बना रहता है। कभी भी तेज बारिश, कभी बर्फबारी तो कभी अचानक से धुंध उठने लगती है। साल 2022 के अक्टूबर महीने में गरुड़चट्टी के पास एक हेलीकॉप्टर जीरो विजिबिलिटी के कारण क्रैश हो गया था. इस हादसे में पायलट समेत 7 लोगों की जान चली गई थी। केदारघाटी में तेज बारिश, धुंध और हवा के बावजूद शटल सेवा बंद नहीं होती है. हेली सेवाओं के संचालन की निगरानी के लिए एक हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली शुरू करने की बात भी हवाई साबित होती नजर आ रही है.
केदारघाटी और अन्य जगहों पर हुए हेलीकॉप्टर हादसे-
– साल 2010 में 12 जून को प्रभातम एविएशन के हेलीकॉप्टर के पंखे से कटकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
– साल 2013 में जून में आपदा और राहत कार्य में जुटे हेलीकॉप्टर की केदारनाथ में दुर्घटना हुई, जिसमें एक पायलट की मौत हो गई थी।
– साल 2013 में 21 जून को गरुड़चट्टी के पास पहाड़ी पर एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें पायलट समेत दो लोगों की मौत हो गई थी। उस समय भी अचानक धुंध उठने से विजिबिलिटी शून्य हो गई थी, जिससे हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
-साल 2013 में 25 जून को केदारनाथ आपदा के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा वायुसेना का एमआई 17 हेलीकॉप्टर को खराब मौसम के चलते हादसे का शिकार होना पड़ा था, जिसमें पायलट, को-पायलट, जवानों समेत करीब 20 लोगों की मौत हुई थी। गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच घनी पहाड़ियों में कोहरे व खराब मौसम में यह हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था।
– साल 2013 में 24 जुलाई को केदारनाथ में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था, जिसमें एक पायलट और एक इंजीनियर की जान चली गई थी।
– साल 2016 में भी टेक ऑफ करते समय एक हेलीकॉप्टर का दरवाजा अचानक हवा में खुल गया था। जिसकी वजह से यह हेलीकॉप्टर क्रैश होने से बाल-बाल बचा था।
-साल 2017 में 10 जून को बदरीनाथ धाम में टेक ऑफ करते समय दौरान एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें एक चीफ इंजीनियर की मौत हो गई थी।
-साल 2018 में 3 अप्रैल को एक सेना का हेलीकॉप्टर बिजली के तार में उलझकर दो हिस्सों में टूट कर क्रैश हुआ था। हालांकि, इस घटना में हेलीकॉप्टर सवार सभी लोग सुरक्षित बच गए थे।
-साल 2019 में केदारनाथ में ही एक हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी आने की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई थी।
-साल 2019 में 21 अगस्त को उत्तरकाशी के आराकोट में आपदा रेस्क्यू अभियान में जुटा हेलीकॉप्टर की ट्रॉली के तारों की वजह से हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था, जिसमें पायलट समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी।
-साल 2019 में 23 अगस्त को आराकोट में ही एक और हेलीकॉप्टर की आपात लैंडिंग हुई, जिसमें एक पायलट गंभीर रूप से घायल हो गया था।
-साल 2019 में 23 सितंबर को केदारनाथ में हेलीपैड पर लैंडिंग के वक्त एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे के समय हेलीकॉप्टर में पायलट समेत 7 लोग सवार थे, जिन्हें हल्की चोटें आई थी।
-साल 2022 में 18 अक्टूबर को केदारनाथ से उड़ा हेलीकॉप्टर गरुड़चट्टी के बाद क्रैश हो गया था। इस हादसे में पायलट समेत 7 लोगों की जान चली गई थी।
– साल 2023 में 23 अप्रैल को यूकाडा के वित्त महाप्रबंधक अमित सैनी की केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्टर की टेल रोटर से कटकर मौत हो गई थी।
– साल 2023 में 2 अक्टूबर को गुप्तकाशी से पांच तीर्थयात्रियों को लेकर जा रहे हेलीकॉप्टर की केदारनाथ पुराने पैदल मार्ग पर इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई थी। इसमें कोई जनहानि नहीं हुई थी।
– साल 2024 में 24 मई को सिरसी से केदारनाथ जा रहे हेलीकॉप्टर की हेलीपैड से कुछ ही दूरी पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी, जिसमें 6 लोग बाल-बाल बच गए। वहीं, ज्यादातर हादसों का मुख्य कारण खराब मौसम में उड़ान भरना बताया गया।
केंद्र से नहीं मिली ये अनुमति:
तमाम हादसों के बाद एविएशन कंपनी और अथॉरिटी पर ही सवाल खड़े होते हैं। यूकाडा यानी उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के सीईओ सी रविशंकर कहते हैं कि यूकाडा का काम हेली सेवाओं के लिए टेंडर कर व्यवस्थाओं को बनाना है। बाकी सभी टेक्निकल पहलुओं को डीजीसीए यानी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ही देखता है। हर साल जब हेली सेवा की शुरुआत होती है, उससे पहले डीजीसीए की टीम तमाम टेक्निकल पहलुओं को देखती है। साथ ही सभी ऑपरेटर्स से फ्लाइंग भी करती है और फ्लाइंग की हाइट भी वही तय करती है।