उत्तराखंडचुनाव आयोगपुलिस-प्रशासनराजनीतिराजनीतिक दललोकसभा चुनाव

पोलिंग पार्टियों को बिस्तर उपलब्ध कराना चुनौती

देहरादून: लोकसभा चुनाव में बिस्तरों का बोझ उठाने से उत्तराखंड के राजस्व उपनिरीक्षकों (लेखपाल) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की उस कवायद को झटका लगता दिख रहा है, जिसमें पोलिंग पार्टियों को इस बार बिस्तर के बोझ से मुक्त रखे जाने का निर्णय लिया गया है। क्योंकि, उत्तराखंड लेखपाल संघ ने बिस्तरों की व्यवस्था के लिए 500 रुपये के अग्रिम भुगतान को नाकाफी बताया है। साथ ही कहा है कि राजस्व निरीक्षकों के पास पहले ही काम का बोझ अधिक है। एक-एक राजस्व उप निरीक्षक के पास 2-3 क्षेत्र हैं।

उत्तराखंड लेखपाल संघ की ओर से मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि मतदेय स्थलों पर स्थानीय स्तर पर प्रति स्थल कम से कम 08 बिस्तर सेट उपलबध कराए जाने हैं। संघ के अध्यक्ष हुकमचंद पाल ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में एक राजस्व निरीक्षक के पास 40 से 60 मतदेय स्थल हैं। लगभग सभी जिलों में यही स्थिति है। वर्तमान में एक बिस्तर का न्यूनतम किराया 150 रुपये है। ऐसे में प्रति मतदेय स्थल पर 500 रुपये के परिवहन भाड़े को जोड़कर 1460 रुपये होते हैं। ऐसे में 500 रुपये के अग्रिम भुगतान पर बिस्तरों का इंतजाम कैसे संभव होगा।

लेखपाल संघ के प्रदेश महामंत्री तारा चंद्र घिल्डियाल ने कहा कि सभी लेखपाल इस समय बीएलओ, सुपरवाइजर व अन्य कार्य भी कर रहे हैं। ऐसे में 40 से 60 मतदेय स्थलों में बिस्तर की व्यवस्था और निर्वाचन के कार्य एक ही दिन में किए जाने कैसे संभव हो पाएंगे। संघ ने तमाम परिस्थितियों को देखते हुए बिस्तर प्रबंधन के काम का बहिष्कार करने का एलान किया है। साथ ही कहा है कि इस काम को अन्य संस्था में माध्यम से करवाया जाए।

 

पोलिंग पार्टियों के लिए बिस्तरों के इंतजाम का जिम्मा जिलाधिकारियों को दिया गया है। यदि व्यवस्था को लेकर कहीं कोई समस्या है तो उसे जिलाधिकारी हल करेंगे। लेखपाल संघ के ज्ञापन के बाबत जिलों को सूचित करा दिया जाएगा। लेखपालों का जो भी मसला है, उसे हल करवाया जाएगा।

डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम, मुख्य निर्वाचन अधिकारी (उत्तराखंड)

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button