सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में दून का नाम आना दुर्भाग्यपूर्ण
-संयुक्त नागरिक संगठन की ओर से गोष्ठी आयोजित, दून को विकसित करने के लिए पेड़ काटने की जगह फ्लाईओवर बनाएं

देहरादून: अपनी हरियाली और स्वच्छ आबोहवा के लिए दुनियाभर में विख्यात रहे देहरादून का देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। अब आवश्यकता नए ग्रेटर देहरादून को विकसित करने की है, जिससे कि बढ़ती जनसंख्या और वाहनों के दवाब से पुराने शहर को मुक्ति मिल सके। शहर की बची-खुची सीमित चौड़ाई की सड़कों पर लगे पेड़ों का विनाश करने के बजाय यहां एलिवेटेड रोड और फ्लाईओवर बनाकर वाहनों के जाम से छुटकारा पाया जा सकता है। सरकार को इस विकल्प पर विचार करना चाहिए।
यह राय शनिवार सुबह कैंट रोड स्थित राज्य अतिथि गृह में विश्व जलवन दिवस के अवसर पर संयुक्त नागरिक संगठन की ओर से ‘पर्यावरण संरक्षण की चुनौतियां और इसके समाधान’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त की। गोष्ठी में पूर्व सैन्य अधिकारी, राज्य सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारी, शिक्षाविद और समाजिक संस्थाओ के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए। संगठन के महासचिव सुशील त्यागी के संचालन में हुई गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मेयर सुनील उनियाल गामा मौजूद रहे।
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा भीषण गर्मी में यदि दूनवासी परेशान हुए हैं, तो इसके लिए विकास के नाम पर सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण में हजारों पेड़ों का सफाया बड़ा कारण था। हमें भावी पीढ़ी की जिंदगी को यहां बढते प्रदूषण से बचाना होगा। वक्ताओं का कहना था कि दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक सड़क का चौड़ीकरण बिना पेड़ों को काटे भी संभव है। इसके लिए यहां बिजली के खंभों को हटाकर बिजली की अंडर ग्राउंड लाइन बिछाई जाएं। अतिक्रमण हटाने के साथ पुलिया को चौड़ा किया जाए, तो समाधान निकल सकता है।
वक्ताओं ने मांग उठाई कि रिस्पना और बिंदाल नदी के रिवर डेवलपमेंट फ्रंट में विकसित तीन किलोमीटर भूमि पर शहरी वन उगाया जाए, जिससे यह जमीन अवैध बस्ती मे तब्दील होने से भी बचेगी और शहर को ऑक्सीजन भी मिलेगी। बिल्डरों के हाईराइज बिल्डिंग्स से उत्पन्न समस्या पर ध्यान दिलाते हुए वक्ताओं ने भूमि के कंक्रीटीकरण को तव्वजो देने पर रोष जताया। उन्होंने कहा कि जो बिल्डर पौधरोपण न करने, उस पर सख्ती के साथ पेनाल्टी लगाई जाए।
गोष्ठी में ब्रिगेडियर (सेनि.) केजी बहल, चौ. ओमवीर सिंह, गिरीश चंद्र भट्ट, लेफ्टिनेंट कर्नल (अप्रा.) बीएम थापा, पूर्व कर्नल केएस मान, पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल गंभीर सिंह, पूर्व कर्नल बिक्रम सिंह थापा, शेर सिंह, आरपीएस रावत, अमर सिंह धुंता, यज्ञ भूषण शर्मा, दीपचंद शर्मा, यशवीर आर्य, दिनेश भंडारी, पदम सिंह थापा, मुकेश नारायण शर्मा, शक्ति प्रसाद डिमरी, एसएन उपाध्याय, खुशबीर सिंह, बिशंभरनाथ बजाज, प्रमोद कुमार सैनी, श्याम राणा, मधुसूदन शर्मा, नंदकिशोर त्रिपाठी, केपी सकलानी, बलवीर सिंह रावत, दिनेश चंद्र नैनवाल, बीनू अरोड़ा, पीसी नागिया, प्रदीप कुकरेती, उपेंद्र बिजल्वाण, पीसी खंतवाल, अवधेश शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अवधेश शर्मा को संगठन का सचिव नियुक्त किया गया।