
देहरादून: दून लाइब्रेरी में शुक्रवार को रूम टू रीड की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बाल साहित्य की दशा और दिशा पर मंथन किया गया। वक्ताओं का कहना था कि उत्तराखंड में बाल साहित्य काफी लिखा जा रहा है, लेकिन इसे बच्चों से जोड़ने के लिए अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
आकाशवाणी के उपनिदेशक और लोकगायक अनिल भारती ने बाल साहित्य के लिए दृश्य और श्रव्य माध्यम पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य में मौजूदा समय में स्तरीय बाल साहित्य का अभाव है। उन्होंने कहा कि ताल-तलैया जैसे शब्दों से ऊपर उठकर बच्चों के लिए साहित्य रचा जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी देहरादून में हफ्ते में एक दिन बच्चों के लिए कार्यक्रम होता है, जिसमें बच्चों की खुद भागीदारी होती है। साहित्यकार और शिक्षाविद् सविता मोहन का कहना था कि आज के बच्चों को बच्चा समझकर न लिखा जाए। बाल साहित्यकारों को अपने लेखन में कठिन लेकिन बोधगम्य शब्दों का प्रयोग करना होगा, ताकि बच्चों में जिज्ञासा पैदा हो और किताब पढ़ने में उसकी रुचि पैदा हो।
शिक्षाविद् डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने उत्तराखंड में बाल साहित्य पर चर्चा करते हुए चिंता जताई कि राज्य में बाल प्रहरी के अलावा कोई और पत्रिका नहीं छप रही है। उन्होंने बच्चों को ध्यान में रखते हुए लोक बाल साहित्य रचे जाने की आवश्यकता बताई। प्रकाशक प्रवीण भट्ट ने साहित्य की पुस्तकों के प्रति लोगों की अरुचि पर चिंता जताई। उनका कहना था कि खुद अभिभावक ही बच्चों को साहित्य की किताबों से दूर रखते हैं। खुद लोग भी खरीदकर पुस्तक नहीं पढ़ना चाहते है, ऐसे में प्रकाशक के सामने भी संकट की स्थिति है।
दून लाइब्रेरी के पुस्तकालय अध्यक्ष जेबी गोयल ने कहा कि राज्य में पहली बार बच्चों के लिए पुस्तकालय खोला गया है। इसमें बालमन से संबंधित पुस्तकें रखी गई हैं। उम्मीद है कि यह पुस्तकालय बच्चों को आकर्षित करेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का जिक्र करते हुए नैनीताल में चल रही घोड़ा लाईब्रेरी के बारे में विस्तार से बताया।
इससे पहले रूम टू रीड की संयोजक पुष्पलता रावत ने उनकी संस्था की ओर से बाल साहित्य के लिए किए जा रहे काम पर चर्चा की। संस्था की ओर से दून लाइब्रेरी को बाल साहित्य से संबंधित पुस्तकें भेंट की गई। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कथाकार मुकेश नौटियाल ने उत्तराखंड में बाल साहित्य पर गंभीरता से काम करने की बात कही। इस मौके पर रमाकांत बेंजवाल, शिवमोहन सिंह, प्रेम साहिल, सुधा जुगराण, कुसुम नैथानी, बीना बेंजवाल, शशिभूषण बडोनी,राकेश जुगराण, गणनाथ मनोड़ी, वंशिका गोयल, राकेश जुगराण हर्षमणि भट्ट, सत्यानंद बडोनी, ललित मोहन लखेड़ा, चंद्रशेखर तिवारी, दर्द गढ़वाली, सुंदर सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे।