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नए कानून लागू, हरिद्वार में दर्ज हुआ पहला मुकदमा 

-नए आपराधिक कानून लागू करने के लिए पुलिस को 20 करोड़ का बजट जारी भारत के लिए आज का दिन ऐतिहासिक: मुख्यमंत्री डीजीपी ने कहा अंग्रेजी कानून से मिल गई मुक्ति

देहरादून: नए आपराधिक कानून के तहत आज हरिद्वार में पहला मुकदमा दर्ज हुआ है। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून में भी नए कानून के क्रियान्वयन को लेकर पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम में शिरकत की। मुख्यमंत्री धामी ने आज के दिन को ऐतिहासिक बताया। कहा कि अंग्रेजों के जमाने के क़ानूनों से देश को मुक्ति मिल गई है। पूरे देश में नए आपराधिक क़ानून लागू हो गए हैं। सीएम ने कहा कि इनके क्रियान्वयन के लिए पुलिस को 20 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया गया है। नए क़ानून दंड के लिए नहीं न्याय को ध्यान में रखते हुए बने हैं।

      डीजीपी अभिनव कुमार ने नए कानून को लागू होने को अंग्रेजी कानून से आजादी बताया।

डीजीपी उत्तराखंड अभिनव कुमार ने कहा कि 1973 में भारतीय कानून में अमेंडमेंट जरूर किया गया था लेकिन यह पहला मौका है जब तीन कानून नए सिरे से लागू किए गए हैं, जिसके लिए उत्तराखंड पुलिस की तैयारी संसद में नियम पास होने के बाद ही शुरू कर दी गई थी कई पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई जबकि एफआईआर संबंधी पोर्टल में भी नए कानून के हिसाब से बदलाव कर दिए गए हैं।

   उधर, हरिद्वार में नए कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। दर्ज हुए मुकदमे में व्यक्ति ने बताया कि कुछ देर के लिए वह रविदास घाट के पास बैठा था और दो अज्ञात व्यक्ति आए और चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी देकर मोबाइल फोन और कुछ नकदी छीन ले गए। साथ ही व्यक्ति को गंगा कि तरफ धक्का देकर भाग गए।

 

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नए आपराधिक कानून में यह है प्राविधान

-आपराधिक मामले का फैसला, सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर सुनाया जाना चाहिए। पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करने का प्रावधान है। सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाओं को लागू करना चाहिए।

 

-महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर नियमित अपडेट हासिल करने और पीड़ितों को मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान कराना जरूरी है।

-आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है।

-अब घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। जीरो एफआईआर की शुरूआत से व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो, प्राथमिकी दर्ज करा सकता है।

-गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में अपनी पसंद के व्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है, ताकि उसे तत्काल सहायता मिल सके। गिरफ्तारी का विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि परिवार और मित्र आसानी से इसे देख सकें।

-बलात्कार पीड़ितों के बयान पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएंगे। मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए।

-नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कड़े नियम बनाये गए हैं। बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

-कानून में अब उन मामलों के लिए दंड का प्रावधान है, जहां शादी के झूठे वादे करके महिलाओं को छोड़ दिया जाता है।

-अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य है।

-“लिंग” की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल किया गया है, जो समानता को बढ़ावा देता है। महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए। यदि उपलब्ध न हो, तो पुरुष मजिस्ट्रेट को महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज करना चाहिए। बलात्कार से संबंधित बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाने चाहिए, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पीड़िता को सुरक्षा मिले।

 

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