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टिहरी में बाबी तो हरिद्वार में उमेश कुमार ने बनाया कांटे का मुकाबला

गढ़वाल सीट पर गोदियाल तो नैनीताल में अजय भट्ट हावी, अल्मोड़ा सीट पर मतदाता खामोश

देहरादून: उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है, राज्य में लोकसभा चुनाव प्रचार का शोर बुधवार की शाम पांच बजे थम गया। प्रदेश में शराबबंदी लागू हो गई है। मतदान संपन्न होने तक शराब की बिक्री और लाने-ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा।  राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए 15 हजार ईवीएम और वीवीपैट लगाई गई हैं। 19 अप्रैल को 55 प्रत्याशियों का भाग्य इनमें कैद हो जाएगा। शाम पांच बजे तक जो मतदाता मतदेय स्थल के भीतर प्रविष्ट हो जाएंगे, वह वोट डाल सकेंगे।

माला राज्यलक्ष्मी शाह (भाजपा)

जोत सिंह गुनसोला (कांग्रेस)

बाबी पंवार (निर्दलीय)

टिहरी सीट: इस सीट पर निर्दलीय बाबी पंवार ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह पार्टी के कैडर वोटों के भरोसे चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला भी खास उपस्थिति दर्ज नहीं करा पा रहे हैं। नामांकन की भीड़ और बेरोज़गारी यदि मुद्दा बनता है तो बाबी पंवार बाजी मार सकते हैं।

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अनिल बलूनी (भाजपा)

गणेश गोदियाल (कांग्रेस)

आशुतोष नेगी (निर्दलीय)

गढ़वाल: इस सीट पर भी निर्दलीय आशुतोष नेगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया हुआ है। कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल की जोरदार उपस्थिति है। विधानसभा चुनाव में गोदियाल पर भाजपा के धन सिंह रावत ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार गोदियाल की छवि और निखरी है, जबकि भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी को थोपा हुआ उम्मीदवार बताया जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार बलूनी ज्यादातर दिल्ली से बैठकर ही पहाड़ की राजनीति करते रहे हैं, ऐसी स्थिति में गोदियाल का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है।


त्रिवेंद्र सिंह रावत (भाजपा)

वीरेंद्र रावत (कांग्रेस)

उमेश कुमार (निर्दलीय)

हरिद्वार: निर्दलीय और खानपुर विधायक उमेश कुमार ने हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुकाबले को कांटे का बना दिया है। कांग्रेस नेता हरीश रावत के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, इसलिए वह पार्टी प्रत्याशी और हरदा के बेटे वीरेंद्र रावत के प्रचार में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस के पक्ष में माहौल नहीं बन पा रहा है, जिसका लाभ भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिल सकता है।

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अजय टम्टा (भाजपा)

प्रदीप टम्टा (कांग्रेस)

अल्मोड़ा: सुदूर गांव में रह रहे मतदाता तक प्रत्याशी पहुंच ही नहीं पाए हैं। संसदीय क्षेत्र का 60 फीसद से अधिक हिस्सा इन्होंने छुआ ही नहीं। परंपरागत प्रतिद्वंदी भाजपा से अजय टम्टा और कांग्रेस से प्रदीप टम्टा आमने-सामने होने से मतदाताओं में ना तो उत्साह है ना ही कोई रुचि। मोदी लहर भी प्रभावी नहीं दिखती। मतदाता पूरी तरह साइलेंट है। वह प्रत्याशियों की बातों को ध्यान से सुन रहा है।


अजय भट्ट (भाजपा)

प्रकाश जोशी (कांग्रेस)

नैनीताल/ऊधम सिंह नगर: पिछले लोकसभा चुनाव में हरदा को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराकर विजयी रहे भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट का पलड़ा इस बार भी भारी दिखाई दे रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों को पुरजोर तरीके से रख नहीं पाए हैं, ऐसे में भाजपा प्रत्याशी को हराना आसान नहीं है।

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चुनाव में प्रमुख पांच मुद्दे

 

महंगाई: अल्मोड़ा संसदीय सीट पर महंगाई का असर दिखाई दे रहा है।

बेरोजगारी: बेरोजगारी की मार से पहाड़ का प्रत्येक घर त्रस्त है। इसलिए यह मुद्दा भी प्रभावी होकर उभर रहा है।

स्वास्थ्य: स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत नहीं होने से लोग इसकी भी बात कर रहे है।

पलायन: पहाड़ में पानी, सड़क, बदहाल शिक्षा व्यवस्था से लोग पलायन को मजबूर है। गांव में लोग इसको लेकर बात कर रहे हैं।

जंगली जानवरों का आंतक: ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि को जंगली जानवरों से खासा नुकसान हुआ है। गांवों में यह एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।

 

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