इस बार किन संविदा कर्मियों की खुलेगी लॉटरी!
-धामी से पहले भी कई सरकारों ने की थी नियमितीकरण की घोषणा, उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन ने नेता प्रतिपक्ष से की पैरवी की मांग

देहरादून: विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे दैनिक वेतनभोगी और संविदा कर्मियों को नियमित किए जाने की धामी सरकार ने भले ही घोषणा कर दी हो, लेकिन उपनल से कार्योजित संबंधित कार्मिकों में इसे लेकर असमंजस की स्थिति है। धामी सरकार से पहले भी कई सरकारों ने ऐसे कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही थी, लेकिन हर बार इस मामले में ‘पिक एंड चूज’ की नीति ही अपनाई गई। हजारों संविदा कर्मी नियमित होने से रह गए। ऐसे में फिर सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बार बरसों से नियमितीकरण की आस लगाए संविदा कर्मियों को लाभ मिल पाएगा। उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी को पत्र भेजकर सरकार के समक्ष संविदा कर्मियों की मजबूती से पैरवी करने की मांग उठाई है, ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके।
इससे पहले, 21 नवंबर 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी, 30 दिसंबर 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और फिर 14 दिसंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार ने ऐसे संविदा कर्मियों को नियमित करने की घोषणा की थी, जो विभिन्न विभागों में पांच से 10 साल की निरंतर सेवा कर चुके हैं। इससे पहले कार्मिक विभाग की ओर से 06 मार्च 2002 और 06 फरवरी 2003 को शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें सभी विभागों में संविदा कर्मियों की नियुक्ति पर रोक की बात कही गई थी। इसके बाद शासन से 04 अगस्त 2004 को विभिन्न विभागों एवं निगमों में संविदा कर्मियों की नियुक्ति उपनल के माध्यम से ही करने का आदेश जारी किया गया।
इससे पहले तमाम सरकारों के कार्यकाल में जारी विनियमितीकरण नियमावली का हवाला देते हुए 02 जनवरी 2017 के माध्यम से सगन्ध पौधा केन्द्र, सेलाकुई के अन्तर्गत कुछ संविदा कर्मियों को नियमित कर दिया गया, लेकिन अन्य विभागों और निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कर्मी इस लाभ से वंचित रह गए। यही नहीं निदेशालय सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय, देहरादून एवं उत्तराखंड स्टेट सीड एंड प्रोडक्शन सर्टीफिकेशन एजेन्सी में कार्यरत कर्मचारियों/अधिकारियों को उनकी दो से चार साल की सेवा के आधार पर उपनल से हटाते हुए सीधे विभागों में समायोजित कर दिया गया।
अब सवाल यह है कि जब वर्ष 2011, वर्ष 2013 और वर्ष 2016 के अनुसार उपनल से कार्योजित संविदा कर्मियों को नियमित किया जा चुका है, तो अब सरकार किन्हें नियमित करने की घोषणा कर रही है, जबकि 27 अप्रैल 2018 और 15 नवंबर 2023 के शासनादेश में संविदा कर्मियों की नियुक्ति पर पूर्णतः रोक लगाई गई है और सिर्फ उपनल के माध्यम से ही सरकारी विभागों या निगमों में संविदा कर्मियों की नियुक्तियां हुई हैं। ऐसे में किन संविदा कर्मियों की नियमितीकरण की लॉटरी खुलेगी, यह देखने वाली बात होगी।
गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य के विभिन्न विभागों/निगमों में लगभग 22 हजार संविदा कर्मचारी उपनल के माध्यम से कार्यरत हैं, जिनमें अकेले 3000 संविदा कर्मचारी ऊर्जा जैसे अति आवश्यक सेवा के तहत अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उत्तराखंड संविदा विद्युत कर्मचारी संगठन इंटक के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी को पत्र भेजकर कहा है कि तमाम संगठन उपनल से कार्योजित कर्मचारियों के नियमितीकरण, समान वेतन, महंगाई भत्ते एवं कई अन्य मांगों को राज्य सरकार के सम्मुख विभिन्न माध्यमों से प्रस्तुत करता आ रहे हैं, परन्तु राज्य सरकार लगातार संविदा कार्मिकों की मांगों को अनदेखा कर रही है, जिससे कर्मचारियों में रोष पनप रहा है।