
ग़ज़ल
दिल जब हुआ निसार मुझे खूब याद है।
पहली नज़र का प्यार मुझे खूब याद है।।
छोड़ा था जिसने हाथ मेरा बीच राह में।
मेरा था गमगुसार मुझे ख़ूब याद है।।
जो इक नज़र भी आज मुझे देखता नहीं।
कल तक था बेकरार मुझे ख़ूब याद है।।
आंगन तो मेरा सबके लिए था खुला हुआ।
कैसे उठी दीवार मुझे ख़ूब याद है।।
वो ख़्वाब जिसको आंख में कल कैद था किया।
कैसे हुआ फरार मुझे ख़ूब याद है।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094