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गुलज़ार और रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार

नई दिल्ली: प्रसिद्ध गीतकार गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य का नाम ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामित किया गया है. ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को घोषणा की कि उक्त दोनों को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. दरअसल, गुलजार हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए तो जाने जाते ही ही हैं. साथ ही इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक भी माने जाते हैं. इससे पहले उन्हें 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं.

वहीं चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. 1950 में यूपी के जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में जन्मे रामभद्राचार्य रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. वह 1988 से इस पद पर बने हुए हैं. वे 22 भाषाएं बोलते हैं और संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं के रचनाकार हैं. 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, “यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार को चयनित किया गया है.”

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