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शास्त्रीय संगीत के सागर में गोते लगाते रहे श्रोता

-पं. जयतीर्थ मेवुंडी ने दून पुस्तकालय में बच्चों को बताई हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन की विशेषता, भजन की दी प्रस्तुति, आकाशवाणी और दूरदर्शन के ए-ग्रेड कलाकार हितेन्द्र दीक्षित ने तबले और हारमोनियम पर अदिति गराडे ने दी संगत

देहरादून: दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र का सभागार शास्त्रीय संगीत की तथा स्पिक मैके की ओर से मंगलवार सुबह आयोजित कार्यक्रम में पं. जयतीर्थ मेवुंडी ने शास्त्रीय संगीत की खूबसूरत प्रस्तुति दी। देर तक श्रोता संगीत के सागर में गोते लगाते रहे। उन्होंने बच्चों को राग के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी। पं. जयतीर्थ मेवुंडी ने ‘रे मन भज राम नाम…. निश दिन’, झप ताल पर दस मात्रा की ताल में एक बंदिश, और दो भजन ‘जागो मोहन प्यारे’ व सांवली सूरत तोरे मन में भावे’ सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यक्रम में पं. जयतीर्थ मेवुंडी के साथ हितेंद्र दीक्षित ने तबले और अदिति गराडे ने हारमोनियम पर संगत दी।

उल्लेखनीय है कि डॉ. जयतीर्थ मेवुंडी जी किराना घराने के अग्रणी गायकों में से एक हैं और वर्तमान में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अग्रणि व्यक्ति हैं। हुबली-धारवाड़, कर्नाटक की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले डॉ. जयतीर्थ मेवुंडी का पालन-पोषण सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जीवंत वातावरण में हुआ। उनकी संगीत यात्रा पंडित अर्जुनसा नाकोद के अधीन शुरू हुई और पंडित श्रीपति पडेगर द्वारा परिष्कृत की गई, जो महान भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी के प्रमुख शिष्य थे। ये आकाशवाणी और दूरदर्शन के ‘ए टॉप’ ग्रेड के कलाकार हैं। इन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, संतवाणी और दसवाणी में अपनी शक्तिशाली तथा भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए अच्छी खासी प्रशंसा अर्जित की है।

तबले पर साथ देने वाले हितेन्द्र दीक्षित आकाशवाणी और दूरदर्शन के ए-ग्रेड कलाकार हैं। वहीं हारमोनियम पर अदिति गराडे एक समर्पित और बहुमुखी संगीतकार हैं। इन्हें विविध प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में मान्यता मिली है।
स्पिक मैके युवाओं में भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्वैच्छिक आंदोलन है चलाता रहता है, जिसकी स्थापना 1977 में आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसर-एमेरिटस डॉ. किरण सेठ ने की थी, जिन्हें 2009 में कला में उनके योगदान के लिए ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था। पिछले 47 वर्षों से, स्पिक मैके ने स्कूलों, कॉलेजों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रसिद्ध कलाकारों के संगीत कार्यक्रमों, व्याख्यान प्रदर्शनों के माध्यम से हजारों छात्रों को भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, लोक कला, शिल्प और लोक रंगमंच के विभिन्न रूपों से अवगत कराया है।
उत्तराखंड में स्पिक मैके व्याख्यान और कार्यशाला प्रदर्शन के माध्यम से 750 से अधिक प्रोग्रामर तक पहुँच चुके हैं। देहरादून के लगभग सभी स्कूलों ने एक या एक से अधिक कार्यक्रम किए हैं और हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक स्कूल इसमें भाग लें।
अंजलि भरथरी, महासचिव, स्पिक मैके, उत्तराखंड ने कहा कि यह युवाओं के लिए एक आंदोलन है और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के माध्यम से हम अपने शास्त्रीय कला रूपों को युवाओं तक पहुँचाना चाहते हैं। स्पिक मैके की अध्यक्ष विद्या वासन ने कहा कि यह आंदोलन अपने कार्यक्रताओं के कंधों पर ही टिका है जो कार्यक्रमों के आयोजन में निस्वार्थ भाव से काम करते हैं।
कार्यक्रम के दौरान दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी, बिजू नेगी, अतुल शर्मा, हिमांशु आहूजा, नरेन्द्र सिंह रावत, सुन्दर सिंह बिष्ट, शैलेन्द्र नौटियाल, जगदीश सिंह महर, आलोक सरीन, दर्द गढ़वाली, भरत सिंह रावत सहित शहर के अनेक प्रबुद्ध लोग,संगीत प्रेमी,रंगकर्मी, लेखक, युवा पाठक व स्कूली छात्र उपस्थित रहे।

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