
कोटद्वार:डा. पीताबंर दत्त बड़थ्वाल जयंती समारोह को लेकर साहित्यकारों ने सरकार के साथ ही आयोजन समिति पर भी सवाल खड़े किए हैं। साहित्यकारों का आरोप है कि समिति जयंती समारोह के नाम पर औपचारिकताओं तक ही सीमित है। स्थानीय साहित्यकारों को मंच उपलब्ध न करवाने के साथ ही ग्रामीणों को जोड़ने में आयोजक विफल साबित हुए हैं।
ग्राम पाली में आयोजित हिंदी के प्रथम डी.लिट डा.पीताबंर दत्त बड़थ्वाल का जयंती समारोह संपन्न होने के साथ ही उत्तराखंड भाषा संस्थान सवालों के घेरे में आ गया है। स्थानीय साहित्यकारों ने समिति पर आरोप लगाया है कि कार्यक्रम में दिल्ली, मेरठ के ही बड़े साहित्यकारों को मंच उपलब्ध करवाया गया, जबकि स्थानीय साहित्यकारों की जमकर अपेक्षा की गई। कार्यक्रम के दौरान देहरादून समेत निकटवर्ती क्षेत्रों से आए साहित्यकारों को अपने विचार तक रखने का मौका नहीं दिया गया।
साहित्यकार सत्यानंद बडोनी ने कहा कि डा.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल की जयंती समारोह में स्थानीय साहित्यकारों की उपेक्षा सही नहीं है। कहा कि तारा चंद गैरोला, भजन सिंह ‘सिंह, पार्थसारथी डबराल, चंद्रकुंवर बर्तवाल जैसी विभूतियों की उपेक्षा हिंदी साहित्य जगत के लिए किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं है। कहा कि इन सभी साहित्यकारों की जयंती भाषा संस्थान को उनके गांव जाकर मनानी चाहिए और उनके घर को स्मारक बनाना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ी उनके आदर्शों से लाभ उठा सकें।
साहित्यकार लक्ष्मी प्रसाद बडोनी ने डा.बड़थ्वाल की स्मृति में उनके पैतृक आवास को स्मारक बनाने की पैरवी की। कहा कि आयोजक समिति की ओर से आयोजन के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, इससे लोकसाहित्य का भला नहीं होगा। जबकि प्रकाशक प्रवीण भट्ट और साहित्यकार नारायण सिंह राणा ने आयोजकों के साथ सरकार पर भी सवाल खड़े किए। कहा कि भाषा मंत्री सुबोध उनियाल डा.बड़थ्वाल के पैतृक ग्राम में पहुंचने के बावजूद ऐसी कोई घोषणा नहीं कर पाए, जिससे स्थानीय लोगों का पाली ग्राम से जुड़ाव महसूस हो। अल्मोड़ा के साहित्यकार हयात सिंह रावत ने कहा कि बड़थ्वाल के गांव तक जाने वाली सड़क की हालत तक ठीक नहीं है।
बैनर से संस्था पर उठे सवाल
उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से जयंती समारोह के लिए जो बैनर व होर्डिंग बनाए गए थे, उसमें जयंती शब्द भी गलत लिखा गया था। समिति को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि हिंदी के प्रथम डी.लिट डा.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल की जयंती का बैनर भी समिति सही ढंग से नही बना पाई, जो कि आयोजकों की जल्दबाजी व गंभीरता को परिलक्षित करता है।