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ग़ज़ल
रंग महफिल में जमाने वाला।
अब नहीं लौट के आने वाला।।
जागती हैं ये जो आंखें मेरी।
कौन है ख्वाब में आने वाला।।
गुनगुनाती हैं जो दीवारें भी।
बज्म है कोई सजाने वाला।।
तू कहां जान सका है उसको।
है वही बिगड़ी बनाने वाला।।
मान जा मान भी जा मेरे दिल।
कौन है तुझको मनाने वाला।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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