
देहरादून: मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार को कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आसानी से स्वीकार नहीं कर पा रहा है। चुनाव बाद हुए सर्वे और पार्टी का विश्वास परिणाम से बिल्कुल अलग है। ऐसे में अब कांग्रेस के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के सीनियर नेता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बड़ी बात कह दी है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए लिखा है कि चुनावों में हार-जीत एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, एक सजग राजनैतिक दल जीत का भी गहराई से विश्लेषण करता है और पराजय का भी, हम भी करेंगे। हम तेलंगाना जीते, तेलंगाना के लोगों का बहुत-बहुत आभार, तेलंगाना कांग्रेस को बहुत बधाइयां।
हरदा आगे लिखते हैं कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हमारी अप्रत्याशित हार है। मध्य प्रदेश पहले से ही कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई दे रहा था, चुनाव के नतीजे कुछ और कह रहे हैं, कोई एक योजना इतना बड़ा निर्णायक असर नहीं डाल सकती है। छत्तीसगढ़ में हम कितनी भी गलतियां करते तो भी कांटे की टक्कर में हमको सरकार बनाने लायक बहुमत मिलना चाहिए था, जो नहीं मिल पाया।
भाजपा शुरू से ही छत्तीसगढ़ को हारा हुआ मान रही थी, विश्लेषक भी यही कह रहे थे। एक अच्छी जन परक सरकार पांच साल देने के बाद जो नतीजे आये उससे हम तो निराश हैं ही हैं, एक अच्छे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अवश्य बहुत गहरे निराश होंगे। हरदा ने राजस्थान में आए परिणाम को लेकर कहा कि हमने स्थिति सुधारी लेकिन जिस तरीके से कांग्रेस की चिरंजीवी जैसी अनेक जन परक योजनाएं प्रारंभ हुई।
हमें पूरा विश्वास था कि हम राजस्थान जीतेंगे, राजस्थान में स्थिति सुधरी लेकिन हम जीत के नजदीक नहीं पहुंच पाये। उन्होंने कहा कि इन तीनों चुनावों के निष्कर्ष ने एक सवाल बड़ा भारी खड़ा कर दिया है। आखिर इस देश में जनता का मुद्दा है क्या ? महंगाई जो चरम पर है, हर घर का बजट गड़बड़ाया हुआ है। बेरोजगारी, दुनिया में सर्वाधिक बेरोजगारी की वृद्धि दर इस समय भारत में है।
मध्य प्रदेश भी उसका कोई अपवाद नहीं है। भ्रष्टाचार यद्यपि भाजपा ने शिष्टाचार में बदल दिया है, लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार से आमजन त्रस्त है। हरदा ने इसको लेकर कई सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा कि किसानों के सवाल कहां खो गये हैं? मजदूरों के सवाल कहां खो गये हैं? क्या उनकी नाराजगियां यूं ही यदा-कदा सड़कों पर दिखाई देती हैं या वास्तव में वो नाराज हैं, अब बहुत सारे प्रश्न मेरे दिमाग में उमड़-घुमड़ रहे हैं।
मैं अपने मन के इन प्रश्नों को आपसे साझा कर रहा हूं। विजेता तो विजेता है। विजेता घोषित करने का अधिकार चुनाव आयोग को है और उन्होंने एक प्रक्रिया के तहत अपने इस दायित्व को अंजाम दिया है। मैं इस बात को लेकर अधिक कुछ नहीं कहूंगा, मगर इतना अवश्य कहूंगा कि विपक्ष को और उसमें मुख्यतः कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति और चुनावी मशीनरी के स्वरूप पर विचार कर अपने को अगले एक महीने के अंदर 2024 के चुनाव के लिए तैयार करना पड़ेगा और हम अपने को तैयार करेंगे।