राजकीय मानदेय की जगह आश्वासन का झुनझुना
-अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से की इंसाफ की गुहार, तमाम विधायकों और मंत्रियों की हां के बाद भी भविष्य अधर में

देहरादून: तमाम विधायकों और मंत्रियों के समर्थन के बावजूद प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए शिक्षकों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। इन्हें नियमित नियुक्ति तो दूर राजकीय मानदेय तक नहीं मिल पा रहा है। इन शिक्षकों ने अब मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर इंसाफ की गुहार लगाई है।
अल्प मानदेय में कार्यरत इन पीटीए शिक्षकों ने वर्ष 2016 के बाद के शिक्षकों को भी मानदेय के दायरे में लाने के लिए कट आफ डेट तय करने की मांग की है। बुधवार को शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय में प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर शीघ्रताशीघ्र राजकीय मानदेय के दायरे में लाने की मांग की। शिक्षकों का कहना है कि प्रबन्धकीय व्यवस्था में लगे ये शिक्षक उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र के विषम भौगोलिक क्षेत्र के मूल निवासी है और विपरीत परिस्थितियों में आठ सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। लेकिन ज्यादातर शिक्षक अधिवर्ष उम्र के पड़ाव में हैं और उनके सामने अब आजीविका का महासंकट है, जिस कारण वे अब राजकीय मानदेय की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान वे तमाम अधिकारी व नेता मंत्रियों से भी मिल चुके हैं। वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक विनोद चमोली, खजाने दास, सुरेश चौहान के अलावा खुद शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से भी मिल चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। शिक्षा मंत्री के आदेशानुसार कार्यरत पीटीए शिक्षकों की नामावली शासन में मंगवाने के आदेश हुये थे लेकिन कई महीनें बीतने के बाद भी इस पर कोई सुध नहीं ली जा रही है। जिससे शिक्षक परेशान हैं। ज्ञापन देने वालों में अध्यक्ष नीरज कुमार, कल्पना सेमवाल, रेखा पंवार, दीक्षा, सोनम राणा, उपेन्द्र बहुगुणा, विवेक, राजेश और मदन चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।