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सोशल मीडिया में कवियों के टेंडर पर तीखी प्रतिक्रिया, शासन मूक

श्रीनगर गढ़वाल में 14 से 20 नवंबर तक होना है बैकुंठ चतुर्दशी मेला, इसी दौरान 17 नवंबर को प्रस्तावित है कवि सम्मेलन, जिसके लिए मांगे गए हैं टेंडर

देहरादून : उत्तराखंड में कवि सम्मेलन के लिए कवियों से टेंडर मांगे जाने का मामला अब सोशल मीडिया में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। अख़बारों में ख़बरें छपने के बाद कई लोगों ने इसे अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर किया है, तो कई ने उत्तराखंड भाषा संस्थान के ग्रुप पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, कई बड़े कवियों ने दूरी बनाई हुई है कि कहीं कभी-कभी होने वाले सरकारी कवि सम्मेलन से भी उनकी छुट्टी न हो जाए। उल्लेखनीय है कि श्रीनगर गढ़वाल में 14 से 20 नवंबर तक होने वाले बैकुंठ चतुर्दशी मेले के दौरान 17 नवंबर को कवि सम्मेलन प्रस्तावित है, जिसके लिए व्यक्ति/फर्म से टेंडर आमंत्रित किए गए हैं।

   बहरहाल, उत्तराखंड में सरकारी स्तर पर कवियों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली इस खबर से शासन-प्रशासन को कोई मतलब नहीं है। शासन की तरफ से इस खबर का कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। साहित्यकारों को गौरव सम्मान देने वाले उत्तराखंड भाषा संस्थान के अधिकारियों और संस्कृति विभाग और भाषा मंत्री ने भी चुप्पी साधी हुई है। हालांकि, प्रशासन मामले को अपने स्तर पर ही दबाने पर लगा है। इस बीच, कवियों के टेंडर को लेकर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कई कवियों ने इस मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, तो कई ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया है। कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने तो बाकायदा प्रेस वार्ता में कवियों के टेंडर को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मीडिया के बाद अब सरकार कवियों को भी खरीदना चाहती है। फिलहाल, फेसबुक और विभिन्न ग्रुप्स में कवियों ने जो प्रतिक्रिया दी है, उसके स्क्रीन शॉट आप भी पढ़िए और कवियों की हालत पर गाल बजाइए।

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