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कांग्रेस ने वित्त आयोग से मांगा विशेष पैकेज और ग्रीन बोनस 

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने वित्त आयोग को सौंपा सुझाव पत्र 

देहरादून: 16वें वित्त आयोग की टीम के उत्तराखंड भ्रमण के दौरान प्रदेश कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने बैठक में प्रतिभाग करते हुए पार्टी की ओर से कई अहम सुझाव प्रस्तुत किए। इनमें उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा और ग्रीन बोनस की मांग एक बार फिर से पुरजोर ढंग से उठाई गई। इसके अलावा उत्तराखंड की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए संवेदनशीलता गुणांक (कॉस्ट डिसेबिलीटी) निर्धारित करने, अलग से आपदा प्रबंधन मंत्रालय गठित करने, क्षेत्रफल व जनसंख्या में असंतुलन को ठीक करने के लिए कदम उठाने जैसे मुद्दों पर सुझाव दिए गए। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकान्त धस्माना के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल ने 16वें वित्त आयोग की टीम को सुझाव पत्र सौंपा।

पत्र में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य के 10 जनपद पूर्णतः पर्वतीय हैं, देहरादून जनपद मैदानी व पर्वतीय क्षेत्र में विभाजित है तथा अन्य 2 जनपद मैदानी व तराई भावर क्षेत्र हैं। राज्य का 67 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र है जिसमें 47 प्रतिशत वन व 20 प्रतिशत वन भूमि है। जिसके कारण वन अधिनियम 1980 के प्रावधानो के तहत गैर वन गतिविधियां प्रतिबन्धित हैं। राज्य में खेती योग्य भूमि केवल 33 प्रतिशत है, जिसका अधिकांश भाग असिंचित है। राज्य को अपनी पर्यावरणीय सेवाओं, देश के लिए जल-जंगल व जैव विविधता की रक्षा के बदले प्रतिपूर्ति के रूप में ग्रीन बोनस प्रदान किया जाय।

इसके अलावा, उत्तराखंड राज्य मध्य हिमालय का भूभाग है, जो हिमालयी श्रंखला के पहाड़ों मे सबसे नये पहाड़ हैं तथा अपने शैशव काल में हैं। इनकी बनावट अभी जारी है जिसके कारण इनमें हमेशा भूगर्भीय हलचलें भूकंप, भूस्खलन, बादल फटने की घटनायें, ग्लेशियर टूटने व नदियों का रूख परिवर्तन जारी रहता है। जिसके कारण राज्य को प्राकृतिक आपदाओं का सामना अक्सर करना पड़ता है। राज्य बनने से पूर्व 90 के दशक में 1991 का उत्तरकाशी-टिहरी भूकंप व 1999 का रूद्रप्रयाग-चमोली भूकंप तथा राज्य बनने के बाद 2010 व 2013 में आई भीषण आपदायें इसका जीता जागता उदाहरण हैं। हर वर्ष गर्मियों के मौसम में राज्य के पर्वतीय भू भाग में वनाग्नि के कारण भारी नुकसान राज्य की वन सम्पदा को होता है। अतः राज्य में दीर्घकालीन आपदा प्रबन्धन तैयारियों के लिए राज्य को विषेश पैकेज का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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