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पीडब्ल्यूडी में बाबुओं के तबादलों में गड़बड़झाला

- मिनिस्टीरियल संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद बछेती लोनिवि प्रमुख से मिले, तबादलों पर जताई आपत्ति, नियमविरुद्ध तबादलों को निरस्त नहीं करने पर दी आंदोलन की चेतावनी 

 देहरादून: उत्तराखंड में तमाम विभागों के बड़े अधिकारियों के लिए तबादला सत्र चुनौती भरा होता है। कारण, कोई कर्मचारी मलाई वाली सीट पाने के लिए जोर लगाता है, तो कोई तबादला रुकवाने के लिए मंत्री की चिट्ठी लेकर आ धमकता है। लोक निर्माण विभाग में तो सिफारिशों की बाढ़ सी आ जाती है। हो भी क्यों न, मलाईदार सीट या डिवीजन में रहने पर ठेकेदारों का बिल पास कराने की एवज में मोटी रकम जो मिल जाती है। उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग तृतीय खंड कार्यालय मिनिस्टीरियल संघ ने तो तबादलों में गड़बड़ी को लेकर आंदोलन कर की चेतावनी दे दी है।

हाल ही में लोनिवि के देहरादून और ऋषिकेश खंड में भी तबादलों का दौर चला, लेकिन कुछ बाबू और अवर अभियंता अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। बताते हैं कि यह बाबू पांच-पांच, छह-छह साल से मलाईदार सीटों पर जमे बैठे हैं, लेकिन इन्हें नहीं हटाया गया।इसी तरह अल्मोड़ा और उत्तरकाशी सर्किल में भी तबादलों को लेकर बवाल हुआ। अल्मोड़ा में तो कई साल से जमे बाबुओं को दरकिनार कर कनिष्ठ बाबू का तबादला कर दिया गया। इसी तरह उत्तरकाशी में भी तबादलों में नियमों का पालन नहीं किया गया।

 उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग तृतीय खंड कार्यालय मिनिस्टीरियल संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद बछेती के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने लोनिवि प्रमुख राजेश शर्मा से मुलाकात कर तबादला नीति के उल्लंघन का आरोप लगाया। बछेती ने लोनिवि प्रमुख को दिए ज्ञापन में कहा कि विभाग की ओर से जो अनिवार्य स्थानांतरण सूची जारी की है, उसमें कुछेक वरिष्ठों को छोड़कर अधिकांश कनिष्ठों का तबादला किया गया है, जो तबादला एक्ट का उल्लंघन है। यह भी कहा गया कि वरिष्ठ सहायक से प्रधान सहायक के पद पर पदोन्नति करते हुए अधिसंख्यक पदों पर तैनाती दी गई है, परंतु उन्हें तबादला एक्ट के अनुसार स्थानांतरित नहीं किया गया है, जबकि कतिपय कार्मिकों को अधिसंख्यक होने के कारण स्थानांतरित किया गया है, जिसमें समानता की नीति नहीं अपनाई गई है। इसी तरह कतिपय कार्यालयों में कार्मिकों का सुगम से दुर्गम स्थान पर स्थानांतरण तो किया गया है, लेकिन प्रतिस्थानी की तैनाती नहीं की गई है, जो शासनादेश 15 अप्रैल 2025 का सरासर उल्लंघन है। कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि गलत तरीके से किए गए तबादले निरस्त नहीं किए गए, तो संगठन आंदोलन को बाध्य होगा।

 

तबादला एक्ट के अनुसार ही तबादले किए गए हैं। कर्मचारी नेताओं की तरफ से आपत्ति आई थी, जिस पर विचार किया जाएगा।

राजेश शर्मा, विभागाध्यक्ष, पीडब्ल्यूडी

 

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