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‘शहादत ही किसी भी मुल्क की पहचान गढ़ती है’

- हृदयांगन एवं ‘जीवन्ती’ देवभूमि साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में हुई काव्य गोष्ठी, मातृ दिवस के उपलक्ष्य में हुई इस काव्य गोष्ठी में मां की महत्ता के साथ वीर सैनिकों को भी किया गया नमन

देहरादून :  हृदयांगन साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था  एवं ‘जीवन्ती’ देवभूमि साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में मातृ-दिवस के उपलक्ष्य में कैनाल रोड स्थित हरिशरणम पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवियों ने मां की महत्ता के अलावा वीर सैनिकों को भी नमन किया गया।

  कार्यक्रम की शुरुआत अर्चना झा की माँ वीणा पाणी की वंदना से हुई। अर्चना की कविता ‘जीवन के आपा धापी ने लूटे कई बसंत सखे’ को भी सराहा गया।श्रीकांत श्री ने अपनी कविता ‘नमन आपका अभिनन्दन है वीर जवानों की जय हो, आपके पौरुष के कारण ही सफल मांग सिंदूर सुनो’ से महफ़िल में जोश भरा। झरना माथुर ने ‘शब्द ही नहीं एक खूबसूरत एहसास है, नारी के सम्पूर्णता का सफ़र बहुत खास है’ तो उषा झा ने ‘विमल वह कोख जिसने जग दिया उपहार में हमको’ से मां की महिमा बताई।

दर्द गढ़वाली के दो शेर ‘क्या-क्या चीजें रख रक्खी थी बक्से में। बंद पड़ी थी यादें सारी बक्से में।।पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ कहता था। चलता था जो लेकर आरी बक्से में।।’ भी पसंद किए गए। युवा कवयित्री कविता बिष्ट “नेह” ने कार्यक्रम का सुंदर संचालन करते हुए अपनी श्रृंगार रस की कविता ‘लोग कहते है मैं गाती हूँ मैं तो माँ की यादों को गुनगुनाती हूँ। सुखद अहसास को महसूस कर यादों की सरगम सुनाती हूँ।।’ से सबका दिल जीत लिया।

इसके अलावा, ओज कवि जसवीर हलधर ने ‘धरा का मान बढ़ता है गगन की शान बढ़ती है। शहादत ही किसी भी मुल्क की पहचान गढ़ती है’ से सैनिकों की बहादुरी को नमन किया। उत्तर प्रदेश से आए शायर प्रदीप मायूस ने इस शेर’ माज़ी तो बिक चुका था,मेरा हाल बिक गया। मां की दवाइयों में बाल-बाल बिक गया।।’ से महफ़िल लूट ली। काव्य गोष्ठी में डॉ. विद्युत प्रभा ‘मंजू’, मुख्य अतिथि अंकुश कौशिक, अंबर खरबंदा, महिमा श्री, शादाब मशहदी, प्रीतम सिंह ‘प्रीतम’, रमेश चंन्द्र, अनिल मोरे, गौरव विवेक, सुरजीत, भव्यता कुश, रजनी चौहान, स्वाति ‘मौली’, उषा डंगवाल आदि ने अपने गीत-ग़ज़लों से कार्यक्रम को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। हृदयांगन संस्था के संस्थापक एवं महासचिव डॉ.विधुभूषण त्रिवेदी जी ने वीडियो के माध्यम से सभी को अपना आशीर्वाद दिया,

जबकि कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. विद्युत प्रभा चतुर्वेदी मंजू के अध्यक्षीय उद्बोधन से काव्य सभा पूर्णिता मिली। इस मौके पर दिव्यांश, सोनू, आधार स्वरूप शर्मा, अमित, विनीता, अंकुर, मनिंदर कौर, अमिताभ दीक्षित, ओम प्रकाश, दिलीप, सुशील चौहान आदि रहे।

 

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