ख़बरदार: युद्ध की खबरें ज्यादा देर देखी तो पगला जाओगे
कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है इसका प्रतिकूल प्रभाव, एंजाईटी, डर, अनिश्चितता, मानसिक दबाव की बढ़ती परेशानी

देहरादून: इन दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ी टेंशन ने आम जनमानस के बीच में उथल-पुथल मचा कर रखी है। विशेष तौर पर उन लोगों पर इसका ज्यादा असर देखने को मिल रहा है जो मीडिया और सोशल मीडिया पर असत्यापित खबरें देख रहे हैं। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात है कि कंज्यूमर मीडिया और सोशल मीडिया पर आधारित खबरों को बिना किसी प्रमाणिक स्रोत के देखते रहे हैं। इस तरह की प्रवृत्ति मानसिक तनाव को बढ़ावा दे सकती है।
दरअसल 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम अटैक के बाद आतंकवादी घटनाओं को रोकने की दिशा में भारत सरकार ने पाकिस्तान से बदला लिया। चिन्हित करके नौ आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त कार्रवाई की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासियों तक जो खबरें ट्रेंड करती रही, उसके दुष्परिणाम भी कम नहीं हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की तरफ बढ़ने वाली खबरों ने भी आम जनमानस पर मानसिक दबाव डालने का काम किया है।
उत्तराखंड की मशहूर न्यूरो साइकोलॉजिस्ट और सीबीएसई बोर्ड काउंसलर डॉ सोना कौशल का कहना है कि आजकल यह देखा जा रहा है कि लगातार लोग समाचारों और सोशल मीडिया के माध्यम से पढ़ भी रहे हैं और वीडियो देख भी रहे हैं। इन्हीं माध्यमों के आधार पर आम लोग इसी इनफॉरमेशन को कंज्यूम कर रहे हैं। उन्होंने बताया जो चीज हम ,सुनते ,पढ़ते और देखते हैं, वही हमारे मानसिक स्तर में जाकर विचार बनाती है। इसलिए अब जबकि वॉर से संबंधित उत्तेजना पूर्ण खबरों को देख रहे हैं, तब तब लोगों के मन में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है।
साइकोलॉजिस्ट डॉ सोना कौशल ने कहा कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस स्थिति में अगर एंजाईटी, डर, अनिश्चितता, मानसिक दबाव बढ़ने के लक्षण सामने आ रहे हों तो वह व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रोगी हो सकता है। ऐसी खबरों को देखने के बाद साइकोसोमेटिक रोग हो सकता है। यही रोग तनाव, शरीर में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, दमे का अटेक का कारण बन सकता है। इसके अलावा इस तरह की खबरों को देखने के बाद बेचैनी, घबराहट, हाथ पैर कांपने, पसीना आने, दिल की धड़कन बढ़ने, ब्लड प्रेशर बढ़ने की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इससे बचने की दी सलाह: डॉ सोना कौशल का कहना है कि आज भी मीडिया और सोशल मीडिया में यह खबरें बार-बार दिखाई जा रही हैं, लेकिन कंज्यूमर की हैसियत से यह बार-बार देखा जाए जरूरी नहीं है। बार-बार युद्ध से जुड़ी खबरों को देखना दिमागी असर कर सकती हैं। इससे एंजायटी लेवल बढ़ सकता है। अनजाने से भय को दूर करने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, व सोशल मीडिया पर असत्यापित और बगैर किसी प्रमाणित स्रोत की खबरों से बचें. उन खबरों को बार-बार नहीं देखें. इसके बारे में चर्चा नहीं करें. इस परिस्थिति में लोगों को अपना ध्यान दैनिक जीवन में लगाना चाहिए।