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उत्तराखंड ने वित्त आयोग से की ग्रीन बोनस की मांग 

- सीएम धामी ने वित्त आयोग के साथ सचिवालय में आयोजित बैठक में रखा राज्य का पक्ष, ’कर-हस्तांतरण’’ में वन आच्छादन के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का अनुरोध 

देहरादून: प्रदेश की वित्तीय परिस्थितियों, चुनौतियों और विकास आवश्यकताओं को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया समेत अन्य सदस्यों के सामने राज्य ने अपना पक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की ‘ईको सर्विस लागत’ को देखते हुए ‘इनवॉयरमेंटल फेडरललिज्म’ की भावना के अनुरूप उपयुक्त क्षतिपूर्ति का अनुरोध किया। साथ ही ’’कर-हस्तांतरण’’ में वन आच्छादन के लिए निर्धारित भार को 20 फीसदी तक बढ़ाए जाने का सुझाव दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 25 सालों में उत्तराखंड ने अन्य क्षेत्रों की तरह वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य किया है। राज्य स्थापना के बाद राज्य के आधारभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए बाहरी लोन पर निर्भर रहना पड़ा। राज्य ने जहां एक ओर विकास के तमाम मानकों के आधार पर उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की तो वहीं, बजट का आकार एक लाख करोड़ रूपए को पार कर गया है। नीति आयोग की ओर से जारी वित्तीय वर्ष 2023-24 की एसडीजी इंडेक्स रिपोर्ट में उत्तराखंड सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने वाले राज्यों में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।

सीएम धामी ने कहा राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 70 प्रतिशत से अधिक भाग वनों से आच्छादित होने के कारण प्रमुख रूप से दो चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। जहां एक ओर वनों के संरक्षण के लिए अधिक व्यय करना पड़ता है, वहीं वन क्षेत्र में किसी अन्य विकास गतिविधि के निषेध के कारण ’’ईको सर्विस लागत’’ का वहन भी करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने ’’इनवॉयरमेंटल फेडरललिज्म’’ की भावना के अनुरूप उपयुक्त क्षतिपूर्ति दिये जाने, ’’कर-हस्तांतरण’’ में वन आच्छादन के लिए निर्धारित भार को 20 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने राज्य में वनों के उचित प्रबंधन और संरक्षण के लिए विशेष अनुदान का अनुरोध किया।

साल 2010 में “इंडस्ट्रियल कन्सेसनल पैकेज’’ के खत्म होने के बाद राज्य को ’’लोकेशनल डिस्एडवान्टेज’’ की पूर्ति करने में कठिनाई आ रही है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों और अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों के चलते राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी काफी सीमित है, जिसके चलते इन क्षेत्रों के लिए विशेष बजट प्रावधान करने पड़ते हैं। स्मार्ट क्लास, क्लस्टर स्कूल एवं दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कम लागत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही टेली मेडिसन, विशेष एंबुलेंस सेवा तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का भी प्रयास किया जा रहा है।

उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील राज्य है। इन आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने एवं राहत तथा पुनर्वास कार्यों के लिए राज्य को सतत आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है. राज्य में जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए स्थापित सारा और आम नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए ’’भागीरथ एप’’ की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के इन विशिष्ट प्रयासों के लिए विशेष अनुदान पर विचार किए जाने का अनुरोध किया। गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किए जाने के बाद लागू होने वाले नियमों के चलते उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन की संभावनाएं सीमित हो गई हैं। जल विद्युत क्षेत्र, विभिन्न कारणों से आर्थिकी में अपेक्षित योगदान नहीं दे पा रहा है, जिससे राजस्व के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी भारी क्षति हो रही है। मुख्यमंत्री ने प्रभावित परियोजनाओं की क्षतिपूर्ति की राशि और संबंधित मैकेनिज्म निर्धारित किये जाने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने कहा तीर्थ स्थलों में आने वाली ’’फ्लोटिंग पाप्यूलेशन’’ के कारण परिवहन, पेयजल, स्वास्थ्य, कचरा प्रबंधन एवं अन्य सेवाओं के लिए भी अतिरिक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करना पड़ता है। जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राज्य में इन्फ्रास्टक्चर के निर्माण में अधिक लागत को ध्यान में रखते हुए विशेष सहायता प्रदान की जाये।

मुख्यमंत्री ने ’’कर-हस्तांतरण’’ के तहत राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानदंडों में टैक्स प्रयास के साथ-साथ ’’राजकोषीय अनुशासन’’ को भी ’’डिवोल्यूशन’’ फॉर्मूले में एक घटक के रूप में सम्मिलित किया जाना चाहिए। ’’रेवेन्यू डेफिसिट ग्रान्ट’’ के स्थान पर ’’रेवन्यू नीड ग्रान्ट’’ को लागू करना युक्तिसंगत रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा राज्य की भौगोलिक संरचना की त्रिविमीयता (थ्री डाइमेनसियेलीटी) के कारण पूंजीगत व्यय तथा अनुरक्षण लागत दोनों ही अधिक होते हैं। राज्य में क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात भी कम है।

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