
अच्छा रिटर्न देने वाले निवेश के विकल्प के रूप में म्यूचुअल फंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. जो लोग सीधे शेयर में निवेश का जोखिम उठाए बिना पारंपरिक निवेश से काफी ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं, उन्हें अकसर एक्सपर्ट्स द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश की सलाह दी जाती है।
निवेश सलाहकार अकसर म्यूचुअल फंड में निवेश के ढेरों फायदे तो गिनाते हैं, पर इसके नुकसानों के बारे में निवेशकों को प्राय: कुछ नहीं बताया जाता, जिससे लोग म्यूचुअल फंडों की हसीन तस्वीर का दूसरा रुख नहीं देख पाते. लिहाज़ा आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, ताकि आप अच्छी तरह सोच-समझ कर इन फंडों में निवेश का निर्णय ले सके
रिटर्न की गारंटी नहीं
म्यूचुअल फंड की पहली नकारात्मक बात इसमें निवेश पर रिटर्न की कोई गारंटी न होना है, जबकि दूसरी ओर बाजार में कई ऐसे निवेश विकल्प मौजूद है जिनमें आपको एक सुनिश्चित रिटर्न मिलता है. म्यूच्यूअल फंड में ऐसा नहीं होने का कारण इसका सीधे स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव से जुड़ा होता है.
यह हर कोई जानता है कि शेयर बाजार में हमेशा जोखिम बना रहता है. इसी कारण है कि म्यूचुअल फंड में भी फायदे के साथ-साथ नुकसान का जोखिम बना रहता है.
निवेश की लागत ज्यादा होना
म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के लिए कुछ पैसा निवेशक द्वारा निवेश किए गए फंड में से ही लिया जाता है, जिसे एक्सपेंस रेशियो के रूप में फंड हाउस को दिया जाता है. अगर आप कम अवधि के लिए निवेश करते हैं तो खर्च कम लगेगा, पर लंबे समय के लिए निवेश करते हैं, तो यह बहुत अधिक हो जाता है. इसलिए जब भी म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो पहले उसके खर्च यानी चार्जेस के बारे में जानकारी जरूरी प्राप्त कर लें.
लंबे समय में ही अच्छा रिटर्न
अगर आप यह सोच कर म्यूचुअल फंड में पैसा लगा रहे हैं कि इससे कम समय में बहुत अधिक मुनाफा कमा कर लेंगे, तो यह गलतफहमी दिमाग से निकाल दीजिए, क्योंकि कम समय में म्यूचुअल फंड में आपको ज्यादा मुनाफा नहीं हो सकता.
बड़े मुनाफे के लिए आपको अपना निवेश लंबे समय तक म्यूचुअल फंड में लगाए रखना होगा. ऐसा करके ही आप अच्छा रिटर्न हासिल कर सकेंगे, वर्ना शॉर्ट टर्म में फायदे के बजाय नुकसान भी हो सकता है.
लॉक इन पीरियड का मतलब यह है कि आपको अपना पैसा एक निश्चित समय तक फंड में जमा रखना होगा. इस दौरान आप उस पैसे को निकाल नहीं सकते. अगर आप उस पैसे को निकालते हैं तो आपको निवेश पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि सभी म्यूचुअल फंडों में लॉक इन पीरियड नहीं होता, पर क्लोज एंडेड स्कीम और ईएलएसएस फंडों मे यह जरूर होता है.
म्यूच्यूअल फंड स्कीम से मिलने वाले रिटर्न पर भी टैक्स देना होता है जिससे कि मुनाफे का कुछ प्रतिशत कम हो जाता है. खासकर अगर आप 12 महीने से कम अवधि के लिए निवेश करते है तो 15% की ऊंची दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लगता है. इसी तरह 12 महीनों से अधिक के लिए निवेश पर भी 10% लॉग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है.
म्यूचुअल फंड में जो भी निवेश किया जाता है उस पर निवेशक का कोई सीधा नियंत्रण नहीं रहता, बल्कि उसे फंड मैनेजर के द्वारा नियंत्रित किया जाता है. ये मैनेजर्स ही अपनी समझ और इच्छा के अनुसार हमारे निवेश को स्टॉक मार्केट या अन्य पूंजी बाजार में लगाता है.