अजब-गजब: रेल ड्राइवर ट्रेन रोककर खुद फाटक खोलता और बंद करता है
बिहार और मुरादाबाद डिवीजन में हैं ऐसे कई फाटक

कोडरमा/मुरादाबाद: देश में बुलेट ट्रेन चलाने की पुरजोर तैयारी हो रही है और वंदे भारत के रूप में सेमी हाई स्पीड ट्रेन का परिचालन भी किया जा रहा है, लेकिन कोडरमा-गिरिडीह रेल लाइन पर डोमचांच में बंगाईकला और मंझलीटांड में ऐसा समपार फाटक है। जिसे पहले तो ट्रेन के ड्राइवर उतरकर बंद करते है, फिर ट्रेन फाटक पार करती है, फिर ट्रेन को रोककर पिछले डिब्बे में सवार गार्ड उतरकर फाटक के गेट को खोलते है. फिर ट्रेन अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ती है। शायद ही रेल के सुहाने सफर में यह नजारा आपको कहीं दिखे।
इन दोनों समपार फाटक के एक तरफ कोडरमा टाउन स्टेशन है, तो दूसरी तरफ महेशपुर स्टेशन। बंगाईकला में यह रेलवे लाइन डोमचांच और बंगाईकला जाने वाला मार्ग पर है। जबकि मंझलीटांड में यह रेल लाइन डोमचांच-जयनगर मार्ग से होकर गुजरती है। इस रूट पर प्रतिदिन तीन जोड़ी ट्रेनों का परिचालन होता है।
इसमें रांची-न्यू गिरिडीह इंटरसिटी एक्सप्रेस के अलावा कोडरमा-महेशमुंडा पैसेंजर ट्रेन और कोडरमा-मधुपुर पैसेंजर ट्रेन शामिल है।
तीनों ट्रेन के परिचालन के दौरान आगमन और प्रस्थान के वक्त मंझलीटांड़ और बंगाईकला में रेलवे फाटक को बंद करने और खोलने के दौरान यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। दोनों रेलवे फाटक की दूरी भी महज 500 मीटर की है। ऐसे में इस लाइन से गुजरने वाली हर ट्रेन को रेलवे फाटक बंद करने और खोलने के लिए हर पारी में चार बार रोका जाता है। इस प्रक्रिया में तकरीबन 4 से 5 मिनट लगते हैं।
बंगाईकला और मंझलीटांड़ क्षेत्रों में रहनेवाले लोग ट्रेन में सफर करने के लिए महेशपुर स्टेशन जाने के बजाए समपार फाटक से ही ट्रेन में सवार होते हैं और उतरते हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि महेशपुर स्टेशन इस रेलवे फाटक से तकरीबन 4 किलोमीटर दूर है, जहां जाने में काफी परेशानी होती है।
इस रूट से गुजरने वाली तीनों ट्रेन फाटक के आगे और पीछे दो बार रूकती है। लोग यहीं से ट्रेन में सवार हो जाते हैं। स्टेशन के प्लेटफार्म की जगह लोग मंझलीटांड़ रेलवे फाटक और बंगाईकला रेलवे फाटक का इस्तेमाल हर दिन करते हैं। इसी तरह बिहार के सीवान जिले में भी एक गुमटी पर यही दृश्य देखने को मिलता है। (साभार एटूजेड बिहार)
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