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उत्तराखंड की प्रसिद्ध शायरा मोनिका मंतशा का गाजियाबाद में हुआ सम्मान 

-ऑल इंडिया हिंदी उर्दू एकता ट्रस्ट के तत्वावधान में 17 मई को हुआ आयोजन, मंतशा को ग़ज़लों के माध्यम से क़ौमी एकता का संदेश देने के लिए किया गया सम्मानित 

देहरादून: ऑल इंडिया हिंदी उर्दू एकता ट्रस्ट के तत्वावधान में 17 मई को गाज़ियाबाद में आयोजित जश्न-ए-क़ौमी एकता महाकवि सम्मेलन में उत्तराखंड की प्रसिद्ध कवयित्री व शायरा मोनिका मंतशा को स्मृति चिन्ह और शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
उन्हें यह सम्मान विशेष रूप से उनकी ग़ज़लों के माध्यम से क़ौमी एकता का संदेश देने के लिए प्रदान किया गया।

इस महाकवि सम्मेलन की अध्यक्षता एडमिरल डॉ. ख़ुर्रम नूर साहब ने की, जबकि कार्यक्रम के संयोजक आयोजक ट्रस्ट के अध्यक्ष फरीद अहमद फरीद रहे।

मोनिका मंतशा को उनकी प्रस्तुत की गई ग़ज़ल के लिए श्रोताओं और समीक्षकों ने उनकी नई ग़ज़ल के शेरों:

‘कितनी नफ़रत दिलों में भरते हो,
और कहते हो रब से डरते हो।

वक़्त दायम कभी नहीं रहता,
किस बिना पर ये ज़ुल्म करते हो।

क़त्ल करते हो रब की रहमत का,
कैसे फिर रब के आगे झुकते हो।। को ख़ासी दादो-तहसीन से नवाजा। इस गरिमामय सम्मान प्राप्ति के लिए देहरादून के प्रतिष्ठित शायर अंबिका सिंह रूही, अमजद खान अमजद, दर्द गढ़वाली साहब और विभाग के अन्य सहयोगियों ने मोनिका मंतशा को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं।

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