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पिता की मौत के बाद भी नहीं मिला अवकाश, तीर और लोटा लेकर पहुंचे प्रशिक्षण केंद्र

महराजगंज :जनपद के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में बुधवार को एक अजीबोगरीब मामला देखने को मिली, जब एक शिक्षक अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद तीर और लोटा लेकर प्रशिक्षण में पहुंच गए। इस दृश्य को देख शिक्षकों और अधिकारियों के बीच चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
मिली जानकारी के अनुसार फरेंदा क्षेत्र के कंपोजिट विद्यालय निरनाम पश्चिमी में कार्यरत सहायक अध्यापक रामजी विश्वकर्मा के पिता का शनिवार को आकस्मिक निधन हो गया था। उन्होंने पिता को मुखाग्नि दी और धार्मिक परंपराओं का पालन करने के लिए तेरह दिन की शुद्धि (तीर) लेना पड़ा। लेकिन इसी बीच उन्हें डायट में अनिवार्य शिक्षक प्रशिक्षण में शामिल होने का आदेश मिला। जब उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) से अवकाश की मांग की, तो उन्हें मेडिकल अवकाश लेने की सलाह दी गई। रामजी विश्वकर्मा का कहना है कि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, इसलिए डॉक्टर ने उन्हें मेडिकल अवकाश के लिए प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया। ऐसे में उनके पास केवल आकस्मिक अवकाश (सीएल) लेने का विकल्प बचा था, लेकिन वर्ष में केवल 14 सीएल मिलती हैं, जिन्हें भविष्य की आपात स्थिति के लिए बचाए रखना जरूरी है। मजबूरी में, वह तीर और लोटा लेकर ही प्रशिक्षण में पहुंचे, जिससे डायट परिसर में हड़कंप मच गया। प्रशिक्षकों ने उन्हें तीर लोटा के साथ देखकर प्रशिक्षण से वापस भेज दिया।
इस घटना के बाद शिक्षक समुदाय में बहस छिड़ गई कि शादी या मृत्यु जैसी पारिवारिक परिस्थितियों में विशेष अवकाश की व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रशिक्षण अनिवार्य है, इसलिए इसमें शामिल होना जरूरी है।

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