देश को मिले 99 आईएफएस अधिकारी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन नए अधिकारियों को बांटे प्रमाण पत्र

देहरादून: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून से बुधवार को भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 99 अधिकारी पासआउट हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन्हें प्रमाण पत्र वितरित किए।
इस मौके पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि इस बैच में 10 महिला अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक हैं। राष्ट्रीय वन अकादमी की पर्यावरण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
साथ ही भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये अधिकारी अपने इस अप्रतिम दायित्व के प्रति सजग और सचेत होंगे एवं पूर्ण निष्ठा से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा की हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए।
इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे हमें अति शीघ्र करना है। वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है। भारतीय वन सेवा के श्री पी. श्रीनिवास, श्री संजय कुमार सिंह, श्री एस. मणिकन्दन जैसे अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्राण न्योछावर किए हैं।
देश को भारतीय वन सेवा ने बहुत अधिकारी दिये हैं, जिन्होंने पर्यावरण के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं। उनकी चर्चा बहुत सम्मान से की जाती है। उन सभी को आप अपना रोल मॉडल बनाएं एवं उनके दिखाए आदर्शों पर आगे बढ़ें।
इस अवसर पर उत्तराखंड राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह के अवसर पर कहा कि यह समारोह हमारे राष्ट्रीय वन धरोहर के संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में नए योग्य नेतृत्व का उत्थान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय वन्य जीवन और वन्यजीव अध्ययन में उत्कृष्टता के लिए एक प्रमुख संस्था के रूप में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने अपने क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संस्था ने वन्य जीवन के प्रबंधन, और संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता के मानकों को स्थापित किया है और नए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।
साथ ही राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड, हिमालय की गोद में बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य की एक अतुलनीय धरोहर प्रदान करता है। उत्तराखंड अपनी समृद्ध और विविध वन संपदा के लिए जाना जाता है। हमारे राज्य की प्रमुख संपत्ति इसके वन हैं, जो बहुत समृद्ध जैव विविधता का घर हैं। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड जड़ी-बूटियों और सुगंधित पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के आम जन मानस वनों को देवतुल्य स्थान देते हुए इन्हें पूजते हैं, वास्तव में वनसंरक्षण के मामले में हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।
वहीं इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, वन महानिदेशक और विशेष सचिव जितेन्द्र कुमार, इंदिरा गॉधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक जगमोहन शर्मा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।