उत्तराखंडमुशायरा/कवि सम्मेलनसाहित्य
मौसम पर कही दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल

ग़ज़ल
याद उनकी दिला गया मौसम।
दिल को फिर से दुखा गया मौसम।।
ख़्वाब फिर से सजा गया मौसम।
दो किनारे मिला गया मौसम।।
किस तरह रात अबके गुजरेगी।
अब के इतना डरा गया मौसम।।
है तबाही का हर तरफ आलम।
हाथ किससे मिला गया मौसम।।
अब के सावन भी वो नहीं आया।
तिश्नगी फिर बढ़ा गया मौसम।।
आंख में ख़्वाब भी नहीं अब के।
नींद मेरी उड़ा गया मौसम।।
है उदासी तमाम बस्ती में।
कैसे मौसम दिखा गया मौसम।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094