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भगवान मध्यमेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद 

कपाट बंदी के दौरान 250 से अधिक श्रद्धालु रहे मौजूद, बाबा के जयघोष के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हुई डोली

रुद्रप्रयाग: पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार श्री मध्यमेश्वर मंदिर के कपाट बुधवार प्रातः शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर मंदिर को सजाया गया था। कपाट बंद होने के बाद भगवान श्री मध्यमेश्वर जी की उत्सव डोली तथा देव निशानों ने स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल-दमाऊ  सहित बाबा मध्यमेश्वर के जयघोष के साथ प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान किया। इस अवसर पर 250 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।

श्री मध्यमेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर अपने संदेश में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय और उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी। बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि 18 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान मध्यमेश्वर जी के दर्शन किए।

कपाट बंद होने से एक दिन पहले श्री मध्यमेश्वर मंदिर में यज्ञ-हवन किया गया। बुधवार प्रात: साढ़े चार बजे मंदिर खुल गया था।प्रात:कालीन पूजा के पश्चात श्रद्धालुओं ने भगवान मध्यमेश्वर जी के दर्शन किए।उसके बाद मंदिर के गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई। भगवान मध्यमेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया। शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों, फल और अक्षत से ढक दिया गया।

इसके बाद पुजारी टी गंगाधर लिंग जी ने प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान की उपस्थिति में शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किए। हक-हकूकधारियों ने भगवान मध्यमेश्वर जी की चल विग्रह डोली के साथ प्रथम पड़ाव  गौंडार को प्रस्थान किया।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि भगवान मध्यमेश्वर जी की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम हेतु गौंडार पहुंचेंगी। 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास तथा 22 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी। 23 नवंबर को गिरिया से चलकर भगवान मद्महेश्वर जी की चल विग्रह डोली अपने देव निशानों के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में विराजमान हो जाएंगी।

इसी के साथ श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवानम ध्यमेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जाएंगी।उल्लेखनीय है कि 23 नवंबर को ही मुख्य रूप से मध्यमेश्वर मेला भी आयोजित होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन भगवान मध्यमेश्वर जी के दर्शन हेतु पहुंचते हैं।

प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान तथा ओंकारेश्वर मंदिर प्रभारी रमेश नेगी ने बताया कि मद्महेश्वर मेले के लिए श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ को फूलों से सजाया जा रहा है। कपाट बंद होने के अवसर पर प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, पुजारी टी गंगाधर लिंग जी, मंदिर समिति कर्मी दिनेश पंवार सहित गौंडार गांव के हक-हकूकधारी तथा वन विभाग के कर्मचारी एवं श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

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