श्रीदेव सुमन ने हिला दी थी राजशाही की जड़ें
श्रीदेव सुमन की 80वीं पुण्यतिथि पर विशेष, टिहरी रियासत को अंग्रेज नहीं बना पाए थे कभी गुलाम

देहरादून: महान स्वतंत्रता सेनानी और टिहरी राजशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले वीर सपूत श्रीदेव सुमन की इस गुरुवार 25 जुलाई 2024 को 80वीं पुण्य तिथि है। इस अवसर पर राजधानी देहरादून और नई टिहरी सहित कई जगह कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। अत्याचारी सत्ता के खिलाफ संघर्ष करने वाले व्यक्तियों के लिए श्रीदेव सुमन का जीवन प्रेरणादायक है।
श्रीदेव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी के जौल गांव में हुआ था। हुकूमत और टिहरी की अलोकतांत्रिक राजशाही के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे श्रीदेव सुमन को दिसंबर 1943 को टिहरी की जेल में डाल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया। 209 दिनों तक जेल में रहने और 84 दिनों के भूख हड़ताल के बाद श्रीदेव सुमन का 25 जुलाई 1944 को निधन हो गया।
श्रीदेव सुमन का मूल नाम श्रीदत्त बडोनी था। उनके पिता का नाम हरिराम बडोनी और माता का नाम तारा देवी था। उन्होंने मार्च 1936 गढदेश सेवा संघ की स्थापना की थी। जबकि, जून 1937 में ‘सुमन सौरभ’ कविता संग्रह प्रकाशित किया, वहीं, जनवरी 1939 में देहरादून में प्रजामंडल के संस्थापक सचिव चुने गए। मई 1940 में टिहरी रियासत ने उनके भाषण पर प्रतिबंध लगा दिया।
वहीं, श्रीदेव सुमन को मई 1941 में रियासत से निष्कासित कर दिया गया। उन्हें जुलाई 1941 में टिहरी में पहली बार गिरफ्तार किया गया, जबकि उनकी अगस्त 1942 में टिहरी में ही दूसरी बार गिरफ्तारी हुई। नवंबर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आगरा सेंट्रल जेल में बंद रहे, उन्हें नवंबर 1943 में आगरा सेंट्रल जेल से रिहा किया गया।
वहीं, दिसंबर 1943 में श्रीदेव सुमन को टिहरी में तीसरी बार गिरफ्तार किया गया। फरवरी 1944 में टिहरी जेल में सजा सुनाई गई। 3 मई 1944 से टिहरी जेल में अनशन शुरू किया। जहां 84 दिन की ऐतिहासिक अनशन के बाद 25 जुलाई 1944 में 29 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। इस दौरान उनकी रोटियों में कांच कूटकर डाला गया और उन्हें वो कांच की रोटियां खाने को मजबूर किया गया।
श्रीदेव सुमन पर कई प्रकार से अत्याचार होते रहे, झूठे गवाहों के आधार पर उन पर मुकदमा दायर किया गया। हालांकि, टिहरी रियासत को अंग्रेज कभी भी अपना गुलाम नहीं बना पाए थे। जेल में रहकर श्रीदेव सुमन कमजोर नहीं पड़े। जनक्रांति के नायक अमर शहीद श्रीदेव सुमन को हर साल श्रद्धासुमन अर्पित कर याद किया जाता है।
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दून लाईब्रेरी में होगा विशेष कार्यक्रम
देहरादून: महान स्वतंत्रता सेनानी श्रीदेव सुमन की याद में उनकी 80वीं पुण्य तिथि पर गुरुवार को दून लाइब्रेरी की ओर से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में जहां साहित्यकार मुनिराम सकलानी की श्रीदेव सुमन को समर्पित पत्रिका का विमोचन किया जाएगा, वहीं श्रीदेव सुमन के तेवर को लेकर काव्य पाठ का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम आयोजक निकोलस और चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि सुप्रसिद्ध जनकवि डॉ. अतुल शर्मा, विनीत पंछी, नीरज नैथानी, शादाब मशहदी, राजेश पाल और दर्द गढ़वाली अपनी रचनाएं पेश करेंगे।