उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज
-अब नहीं बढ़ेगा प्रशासकों का कार्यकाल, जल्द मिलेगी ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी

देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर, 30 नवंबर और एक दिसंबर को खत्म हो गया था। चुनाव ना हो पाने के चलते पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। ऐसे में अब त्रिस्तरीय पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल मई महीने में समाप्त हो रहा है। ऐसे में अब राज्य सरकार, पंचायत में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के मूड में नजर नहीं आ रही है। राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराई जाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाने की रणनीति तैयार कर ली है।
त्रिस्तरीय पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद अभी तक चुनाव ना हो पाने की मुख्य वजह यही है कि पंचायतीराज एक्ट का संशोधन और ओबीसी आरक्षण का निर्धारण नहीं हो पाया है। सरकार को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में ही राजभवन से पंचायती राज एक्ट और ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी मिल जाएगी। राजभवन से ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद आरक्षण की सूची तैयार करते हुए जिलाधिकारी की ओर से पंचायत के आरक्षण की सूची जारी कर दी जाएगी। साथ ही जिलाधिकारी की ओर से आरक्षण सूची से संबंधित आपत्ती मांगते हुए उसका निस्तारण किया जाएगा। इसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
दरअसल, पंचायतीराज अधिनियम में प्रावधान किया गया था कि 27 सितंबर 2019 के बाद जिसकी दो से अधिक संतान होंगी, वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेगा। इस प्रावधान के बाद मामला न्यायालय में चला गया। इसके बाद न्यायालय ने जुड़वा संतान को इकाई संतान मनाने संबंधित आदेश दिए थे। इसके बाद शासन ने भी आदेश जारी कर दिए लेकिन इसमें कट ऑफ डेट 25 जुलाई 2019 अंकित था, जिसके चलते एक विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसमें संशोधन किए जाने को लेकर सरकार ने निर्णय लिया गया. ऐसे में पंचायती राज विभाग ने अधिनियम में संशोधन कर प्रस्ताव शासन को भेज दिया, जिसके बाद इस अध्यादेश को राजभवन भेजा गया, जिस पर अगले कुछ दिन में ही मंजूरी मिलने की संभावना है।
वहीं, इस पूरे मामले पर पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने कहा पंचायती राज व्यवस्था में निर्वाचन की तैयारियां चल रही हैं। सरकार के स्तर से चुनाव की तैयारियां पूरी हैं। पंचायती राज अधिनियम के तहत चुनाव कराया जाना है, जिसके संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा जा चुका है। ऐसे में राजभवन से अध्यादेश पर मंजूरी मिलने के बाद चुनाव संबंधित आगे की कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान समय में चारधाम की यात्रा चल रही है। चारधाम यात्रा की व्यवस्था में गढ़वाल की पूरी मशीनरी जुटी हुई है। इसके साथ ही आपदा को देखते हुए भी चुनाव की तैयारी विभाग को करनी हैं। ऐसे में इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तैयारियां की जा रही हैं।
दरअसल, पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर, 30 नवंबर और एक दिसंबर को समाप्त हो गया था, लेकिन चुनाव ना हो पाने की स्थिति में उत्तराखंड शासन की ओर से पंचायत में प्रशासक बिठा दिए गए। ऐसे में 27 मई को ग्राम पंचायतों, 29 मई को क्षेत्र पंचायत प्रमुखों और एक जून को जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, जिसके सवाल पर पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने बताया पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही निर्वाचित की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी चल रही है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव संबंधित नोटिफिकेशन की कार्रवाई कर लिया जाये।