साहित्य

जफ़ा इक तरफ़ है वफ़ा इक तरफ़

दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल

ग़ज़ल

जफ़ा इक तरफ़ है वफ़ा इक तरफ़।
हसींनों की यारो अदा इक तरफ़।।

हमारी वफ़ा का सिला इक तरफ़।
रखी उसने अपनी हया इक तरफ़।।

ख़ुदा की न शामिल रज़ा हो अगर।
तुम्हारा हमारा किया इक तरफ़।।

मिला घाव ऐसा किसी से हमें।
तबीबों तुम्हारी शिफ़ा इक तरफ़।।

किसी को किसी की कहां फिक्र अब।
वली इक तरफ़ है ख़ुदा इक तरफ़।।

जरा देर को सांस क्या बस थमी।
दवा इक तरफ़ फिर दुआ इक तरफ़।।

कभी तो दिया ये जलेगा मेरा।
कहां तक चलेगी हवा इक तरफ़।।

दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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