दलित साहित्य पर नवेंदु का है बड़ा काम
-सड़क संसद ने किया वरिष्ठ साहित्यकार नवेन्दु महर्षि का सम्मान, नवेंदु की अब तक 113 पुस्तकें हो चुकी हैं प्रकाशित

देहरादून: स्थानीय दीनदयाल पार्क के समीप सड़क संसद के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ट्रेड यूनियन नेता डीएन कोठारी की अध्यक्षता में आयोजित सभा में हिंदी दलित साहित्य के प्रतिष्ठित, ख्याति प्राप्त कवि, साहित्यकार एवं दलित उपन्यासकार महर्षि जेपी नवेन्दु को शॉल और माला पहना कर सम्मानित किया गया। नवेन्दु ने 113 पुस्तकों की रचना कर दलित साहित्य में बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि ये अत्यंत हर्ष एवं गर्व की बात है कि हमारे बीच के एक शिक्षक साहित्यकार द्वारा दलित समाज में घटित घटनाओं एवं संघर्षों का उल्लेख करते हुए इतनी बड़ी संख्या में पुस्तकों की रचना की है। यह एक ऐतिहासिक एवं गौरवमयी उपलब्धि है। नवेन्दु को सम्मानित करते हुए सुरेंद्र कुमार आर्य ने कहा कि उनकी कविता, कहानियाँ, उपन्यास एक अलग अध्याय को आयाम देती हैं। एक ऐसा विचार जो कि यथार्थ पूर्ण, तर्कपूर्ण एवं जन संघर्ष की व्यापकता का अहसास करता है।
कामरेड जगदीश कुकरेती ने नवेन्दु महर्षि द्वारा रचित दलित साहित्य में उल्लिखित तथ्यों का ऐतिहासिक एवं सामाजिक सरोकार से परिपूर्ण बताते हुए कहा कि यह आगामी संघर्षों में देश की मेहनतकश अवाम के लिए कारगर हथियार साबित होगा। राजेंद्र प्रसाद गुप्ता ने उनकी रचनाओं को यथार्थवादी एवं प्रेरणादायक बताया। नवेंदु के रचित दलित साहित्य के ऊपर मगध विश्वविद्यालय, बिहार एवं भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली में कई छात्रों द्वारा पीएचडी की गई है तथा उनकी कृतियों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। सभा में बड़ी संख्या में आप राहगीरों द्वारा भागीदारी की गई। सभा का संचालन कामरेड हरिओम पाली (इप्टा) द्वारा किया गया।
रंगकर्मी सतीश धौलाखण्डी द्वारा एक जनगीत एवं विक्रम पुंडीर ने उनकी कविता का काव्य पाठ किया।
अपने सम्बोधन में नवेन्दु महर्षि ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अपनी कविताओं का पाठ किया तथा उन्होंने कहा कि उन्होंने बड़ी विकट परिस्थितयों में संघर्ष कर इस आयाम को प्राप्त किया है। मेरी कोशिश होगी कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से दलित विमर्श को गति प्रदान की जाएगी।
सड़क संसद को वरिष्ठ साहित्यकार गोविंदराम नौटियाल, शंकर सागर, हरजिंदर सिंह, राकेश पंत, हरिसिंह निषेद, वीरेंदर त्यागी, डॉ. जितेन्द्र भारती, जयकृत कंडवाल, राजेंद्र इष्टवाल, अशोक अकेला, विनोद खंडूरी, युगपाल सिंह असवाल, चंद्र प्रकाश थापा, एके कटारिया, राजेश रावत, वीके डोभाल आदि ने संबोधित किया।